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dc.contributor.authorVenkatraman, Shriram
dc.date.accessioned2021-02-10T12:58:18Z
dc.date.issued2019
dc.date.submitted2019-03-14 13:43:55
dc.date.submitted2020-04-01T10:48:26Z
dc.identifier1004329
dc.identifierOCN: 1100490246
dc.identifierhttp://library.oapen.org/handle/20.500.12657/25759
dc.identifier.urihttps://directory.doabooks.org/handle/20.500.12854/35780
dc.description.abstractOne of the first ethnographic studies to explore use of social media in the everyday lives of people in Tamil Nadu, Social Media in South India provides an understanding of this subject in a region experiencing rapid transformation. The influx of IT companies over the past decade into what was once a space dominated by agriculture has resulted in a complex juxtaposition between an evolving knowledge economy and the traditions of rural life. While certain class tensions have emerged in response to this juxtaposition, a study of social media in the region suggests that similarities have also transpired, observed most clearly in the blurring of boundaries between work and life for both the old residents and the new. Venkatraman explores the impact of social media at home, work and school, and analyses the influence of class, caste, age and gender on how, and which, social media platforms are used in different contexts. These factors, he argues, have a significant effect on social media use, suggesting that social media in South India, while seeming to induce societal change, actually remains bound by local traditions and practices.
dc.description.abstractदक्षिण भारत पर सामाजिक मीडिया, जो तमिलनाडु में लोगों के दैनिक जीवन में सामाजिक मीडिया के उपयोग पर अन्वेषण करनेवाले पहले के नृवंशवैज्ञानिक अध्ययनों पर एक है, तेज़ी परिवर्तन का अनुभव करनेवाले एक क्षेत्र में इस विषय का ज्ञान प्रदान करता है. जो एक समय कृषि से हावी किया गया था, उस क्षेत्र पर पिछले दशक में आईटी कंपनियों का प्रवेश, एक उद्विकासी ज्ञान अर्थव्यवस्था और ग्रामीण जीवन की परिपाटी के बीच एक जटिल मुकाबला का कारण बन गया है. जबकि इस मुकाबले के उत्तरक्रिया के रूप में कुछ वर्गीय तनाव प्रकट हुए हैं, इस क्षेत्र के सामाजिक मीडिया पर अध्ययन इसका प्रस्ताव करता है कि समरूपता का भी पता चलता है, जो पुराने और नए निवासियों के काम और जीवन की सीमाओं के धुंधुला होने से अधिक स्पष्ट रूप से अवलोकन किया जाता है. वेंकटरामन घर, काम और स्कूल पर सामाजिक मीडिया के प्रभाव पर अन्वेषण करते हैं और वर्ग, जाति, उम्र और लिंग के प्रभाव पर इसका विश्लेशण करते हैं कि जैसे और जो सामाजिक मीडिया के मंच विभिन्न सन्दर्भों पर उपयोग किये जाते हैं. वे ऐसा तर्क करते हैं कि ये कारक के सामाजिक मीडिया के उपयोग पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है और इसका प्रस्ताव करते हैं दक्षिण भारत में सामाजिक मीडिया, यद्यपि सामाजिक परिवर्तन को प्रेरित करने लगता है, वास्तव में सामाजिक परिपाटी और प्रयोग से सीमित हैं.
dc.languageTamil
dc.relation.ispartofseriesWhy We Post
dc.rightsopen access
dc.subject.otherதென்னிந்தியாவி
dc.subject.otherசமூக ஊடகங்கள்
dc.subject.otherஆய்வியலின்
dc.subject.otherIndia
dc.subject.otherCaste
dc.subject.otherTechnology
dc.subject.otherSocial media
dc.subject.otherthema EDItEUR::G Reference, Information and Interdisciplinary subjects::GT Interdisciplinary studies::GTC Communication studies
dc.subject.otherthema EDItEUR::J Society and Social Sciences::JB Society and culture: general::JBC Cultural and media studies::JBCC Cultural studies
dc.subject.otherthema EDItEUR::J Society and Social Sciences::JB Society and culture: general::JBC Cultural and media studies::JBCT Media studies
dc.subject.otherthema EDItEUR::J Society and Social Sciences::JH Sociology and anthropology
dc.titleதென்னிந்தியாவில் சமூக ஊடகங்கள் – Social Media in South India (Tamil)
dc.typebook
oapen.identifier.doi10.14324/111.9781787354906
oapen.relation.isPublishedBy29b9f0a3-1b0d-4bdd-99d7-b4d3432d7fcc
oapen.pages376
oapen.place.publicationLondon
dc.abstractotherlanguageदक्षिण भारत पर सामाजिक मीडिया, जो तमिलनाडु में लोगों के दैनिक जीवन में सामाजिक मीडिया के उपयोग पर अन्वेषण करनेवाले पहले के नृवंशवैज्ञानिक अध्ययनों पर एक है, तेज़ी परिवर्तन का अनुभव करनेवाले एक क्षेत्र में इस विषय का ज्ञान प्रदान करता है. जो एक समय कृषि से हावी किया गया था, उस क्षेत्र पर पिछले दशक में आईटी कंपनियों का प्रवेश, एक उद्विकासी ज्ञान अर्थव्यवस्था और ग्रामीण जीवन की परिपाटी के बीच एक जटिल मुकाबला का कारण बन गया है. जबकि इस मुकाबले के उत्तरक्रिया के रूप में कुछ वर्गीय तनाव प्रकट हुए हैं, इस क्षेत्र के सामाजिक मीडिया पर अध्ययन इसका प्रस्ताव करता है कि समरूपता का भी पता चलता है, जो पुराने और नए निवासियों के काम और जीवन की सीमाओं के धुंधुला होने से अधिक स्पष्ट रूप से अवलोकन किया जाता है. वेंकटरामन घर, काम और स्कूल पर सामाजिक मीडिया के प्रभाव पर अन्वेषण करते हैं और वर्ग, जाति, उम्र और लिंग के प्रभाव पर इसका विश्लेशण करते हैं कि जैसे और जो सामाजिक मीडिया के मंच विभिन्न सन्दर्भों पर उपयोग किये जाते हैं. वे ऐसा तर्क करते हैं कि ये कारक के सामाजिक मीडिया के उपयोग पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है और इसका प्रस्ताव करते हैं दक्षिण भारत में सामाजिक मीडिया, यद्यपि सामाजिक परिवर्तन को प्रेरित करने लगता है, वास्तव में सामाजिक परिपाटी और प्रयोग से सीमित हैं.


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